महारानी अहिल्याबाई।

कल महारानी अहिल्याबाई होल्कर की जन्मतिथि है। वही रानी अहिल्याबाई जिन्होंने भाग्य के हाथों सब कुछ खो कर भी भारत भूमि को अपनी कृपा से ओतप्रोत कर दिया। हिन्दू मंदिरों के नवजागरण की देवी को बारम्बार प्रणाम है। मराठों के उत्कर्ष काल में उदय हुआ सूबेदार मल्हारराव होलकर की पुत्रवधू माता अहिल्याबाई का। वे मल्हार राव के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। अहमदनगर के छोटे से गांव में जन्मी इस युवती ने भारत भूमि के इतिहास और गौरव को पुनर्जीवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सोमनाथ, जिसका जीर्णोद्धार करने का सुयश कई प्रतापी राजा भी ना पा सके, उन महादेव ने अपने पुनर्स्थापना के लिए अहिल्याबाई को चुना। पुत्र के व्यवहार कुशल ना होने के कारण मल्हार राव ने अहिल्याबाई जैसी सुदृढ़ युवती की तलाश की थी जो ना केवल उनके पुत्र को सम्हाल सके परंतु समय आने पर उनके राज्य को भी। ईश्वरेच्छा बलीयसी। 1754 में लगभग 29 वर्ष की आयु में उनके पति की युद्ध में मृत्यु हो गई। इस घटना से क्षुब्ध माता अहिल्याबाई ने फिर भी मल्हार राव जी के संरक्षण में राज काज अपने हाथ में लेना प्रारंभ कर दिया। मल्हार...