कैथी(𑂍𑂶𑂟𑂲), कायथी या कायस्थी लिपि
कैथी(𑂍𑂶𑂟𑂲), कायथी या कायस्थी अभिजात्य वर्ग में कायस्थों द्वारा ईस्तेमाल की वाली लिपि के रूप में प्रसिद्ध हुई। भोजपुरी, मगही, मैथिली, तिरहुती, वज्जिका आदि सभी भाषाओं की तरह इसी लिपि से विकसित हुई।
बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बंगाल, उड़ीसा, झारखंड आदि उत्तर भारतीय राज्यों में विकसित कैथी ने 15-20 वीं शताब्दी तक अपना स्वर्णिम काल देखा।
Kaithi Script Converter आधिकारिक तौर पर ईस्तेमाल की जाने वाली कैथी से जमीन के कागजात, कोर्ट केस, दस्तावेज आदि बहुतायत में लिखे गए।
और कई साहित्य भी।
कैथी सिर्फ आधिकारिक नहीं बल्कि जनसमुदाय की भी लेखन पद्धति थी। कितने सारे पत्र, कविताएं, पुस्तकें, आदि कैथी में लिखी गई।
१८५४ में विद्यालयों में देवनागरी के मुकाबले में तीन गुना से भी ज्यादा कैथी लिपि में रचित प्रारंभिक पुस्तकें थीं।
लेकिन जनसाधारण की इस लिपि का इतिहास इतना ही नहीं है। ब्राह्मी लिपि से उद्गम वाली इस लिपि को कई स्रोतों के अनुसार गुप्तकालिक भी माना जाता है।
कैथी लिपि में छापी मुद्रा।
राजनीतिक फूट के कारण और 20 वीं शताब्दी में केवल पढ़े लिखे लोगों में सिमटी कैथी को जनसाधारण से दूरी झेलनी पड़ी जिसका निष्कर्ष इसके पराभव के रूप में समक्ष है।
कैथी के पराभव के कारण पूरी एक संस्कृति नष्ट की ओर अग्रसर हो गई। कितने ही साहित्यिक कार्य उपेक्षित पड़े रह गए।
लोगों ने अपने बच्चों को कैथी न पढ़ाई और भाषा लुप्त होती चली गई।आसान, स्पस्ट और तेजी से लिखी जा सकने वाली कैथी को पुनः जनसाधारण के बीच लाना एक विरासत को बचाने जैसा है।निःशुल्क कैथी लिपि सीखने के लिए आप यहां रजिस्टर कर सकते हैं।
कैथी लिपि की कुछ अन्य पांडुलिपियाँ।
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